स्वर्ण प्राशन (सुवर्ण प्राशन) Suposhya Suvarnprashan

 स्वर्ण प्राशन (सुवर्ण प्राशन)

स्वर्ण प्राशन जिसे स्वर्ण बिंदु प्राशन भी कहा जाता है, एक अनोखी आयुर्वेदिक विधि है जो शरीर की प्रतिरोधक शक्ति (इम्यून पावर) को बढ़ाने के लिए जानी जाती है।
“स्वर्ण” का मतलब है सोना और “प्राशन” का अर्थ है सेवन करना
सोने का सेवन करने की यह प्रक्रिया 16 संस्कारों में से एक मानी गई है, जो बच्चों के समग्र स्वास्थ्य और विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

आयुर्वेद के अनुसार, हमारे शरीर को सही पोषण की ज़रूरत होती है ताकि वह शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत रहे — बचपन से लेकर बुढ़ापे तक।
इसलिए स्वर्ण प्राशन जन्म के तुरंत बाद से लेकर 16 वर्ष की आयु तक लेने की सलाह दी जाती है।

स्वर्ण प्राशन बनाया जाता है स्वर्ण भस्म (सोने की भस्म), शहद, गाय का घी, और वचा, ब्राह्मी, शंखपुष्पी जैसे आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के मिश्रण से, जो शरीर की रोग-प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने में मदद करते हैं।



🌿 स्वर्ण प्राशन के मुख्य फायदे

1. इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाता है
स्वर्ण प्राशन में मौजूद सोना और औषधीय जड़ी-बूटियाँ शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाती हैं।
छोटे बच्चों में इम्यूनिटी कम होती है, जिससे उन्हें अक्सर सर्दी, खांसी, बुखार जैसी बीमारियाँ होती हैं।
स्वर्ण प्राशन का नियमित सेवन इन संक्रमणों से बचाव करता है।

2. याददाश्त और एकाग्रता बढ़ाता है
यह बच्चों की एकाग्रता, ध्यान और याद रखने की शक्ति को बेहतर करता है।
ब्रेन की सेहत को सुधारने में यह बहुत उपयोगी माना गया है।

3. पाचन शक्ति बढ़ाता है
स्वर्ण प्राशन पाचन क्रिया को तेज़ करता है और शरीर को भोजन से पोषक तत्व सही से मिलते हैं।
यह भूख बढ़ाता है और बच्चों के स्वस्थ विकास में मदद करता है।

4. त्वचा को निखारता है
स्वर्ण प्राशन शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है, जिससे स्किन साफ और ग्लोइंग बनती है।
यह ब्लड सर्कुलेशन को भी बेहतर करता है।

5. मानसिक तनाव और चिड़चिड़ापन कम करता है
स्वर्ण प्राशन मन को शांत करता है और बच्चों में गुस्सा, रोना या हाइपर एक्टिविटी जैसी समस्याओं में मदद करता है।
यह ऑटिज़्म, लर्निंग डिफिकल्टीज, अटेंशन डेफिसिट जैसे विशेष जरूरत वाले बच्चों के लिए भी लाभदायक है।

6. सुनने और देखने की शक्ति बढ़ाता है
यह श्रवण और दृष्टि शक्ति को सुधारता है।

7. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है
स्वर्ण प्राशन ब्लड सर्कुलेशन और नर्वस सिस्टम को बेहतर बनाता है, जिससे संपूर्ण स्वास्थ्य अच्छा रहता है।



🌼 स्वर्ण प्राशन में क्या-क्या होता है?

स्वर्ण प्राशन एक विशिष्ट संयोजन (mixture) है –

  • स्वर्ण भस्म (सोने की भस्म)

  • शहद

  • गाय का घी (घृत)

  • और औषधीय अर्क जैसे वचा, ब्राह्मी, शंखपुष्पी आदि।


⚙️ यह कैसे काम करता है?

  1. स्वर्ण भस्म सोना सीधे नहीं खाया जा सकता, इसलिए इसे विशेष प्रक्रिया से भस्म रूप में तैयार किया जाता है। यह इम्यूनिटी और याददाश्त दोनों को बढ़ाता है।

  2. शहद इसमें परागकण (pollen grains) होते हैं, जो शरीर को धीरे-धीरे एलर्जी से लड़ने की क्षमता देते हैं। यह सूजन कम करता है और पाचन सुधारता है

  3. घी यह जड़ी-बूटियों के औषधीय गुणों को शरीर तक पहुँचाने का सर्वोत्तम माध्यम है।



👶 कौन-कौन ले सकता है?

स्वर्ण प्राशन जन्म से लेकर 16 वर्ष की आयु तक के बच्चों को दिया जा सकता है।
इसे हर दिन या विशेष रूप से पुष्य नक्षत्र के दिन दिया जा सकता है।

दैनिक मात्रा:

  • नवजात से 6 महीने तक – 1 बूंद रोज़

  • 6 महीने से 2 वर्ष तक – 2 बूंद रोज़

  • 2 वर्ष से 16 वर्ष तक – 5 बूंद रोज़

सेवन का सही समय:

  • सुबह खाली पेट देना चाहिए।

  • सेवन के बाद कम से कम 30 मिनट तक कुछ न खाएँ।



🌙 पुष्य नक्षत्र का महत्व

  • स्वर्ण प्राशन को पुष्य नक्षत्र के दिन लेना सबसे शुभ माना जाता है।
  • “पुष्य” का अर्थ है पोषण
  • यह नक्षत्र गाय के थनों (उदर) जैसा प्रतीक रखता है, जो पोषण और समृद्धि का प्रतीक है।
  • इस दिन लिए गए स्वर्ण प्राशन से शरीर को अधिक लाभ और पोषण मिलता है।
हालाँकि, इसे किसी भी दिन लिया जा सकता है, परंतु पुष्य नक्षत्र पर इसका प्रभाव अधिक श्रेष्ठ माना गया है।

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